02- 05 - 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 4
तबरेज और जुनैद बाते करते हुए काफी आगे निकल जाते है । तभी तबरेज की दुकान आ जाती है जहाँ वो काम करता है ।
" अच्छा भाई मुझे इज़ाज़त दो मेरी मंज़िल आ गयी अब आगे का रास्ता अकेले ही तय करो " तबरेज ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा
"ठीक है भाई , अपना ख्याल रखना मैं भी सीधा घर जाऊंगा उसके बाद अपने काम पर और हाँ जो बात मेने कही है उसके बारे में सोचना ज़रूर । क्यूंकि अब हम लोगो की उम्र बढ़ रही है ना की घट रही है ।
कुछ फैसले अगर सही वक़्त पर ले लिए जाए तो ज़िन्दगी आसान हो जाती है " जुनैद ने कहा उससे विदा लेते वक़्त।
"ठीक है , मैं सोचूंगा और हाँ बहन की शादी का जैसे ही कुछ हो मुझे बताना ताकि कुछ काम आ सकू " तबरेज ने कहा
" हाँ, हाँ तुझे ही बताऊंगा और किसे बताऊंगा तू ही तो है जिसके साथ मैं अपनी हर बात साँझा करता हूँ। और तुझे देख कर ही तो मुझे हौसला मिलता है " जुनैद ने कहा और फिर वहा से चला गया।
तबरेज़ दुकान के अंदर जाता और पूछता " आज मामू नहीं आये "
वहा काम सीख रहे एक 14 साल के लड़के अनुज ने कहा " तबरेज भाई, आज उस्ताद नहीं आये है मेने ही दुकान खोली है , "
" अच्छा, कुछ बताया उन्होंने क्यू नहीं आये है आज " तबरेज ने पूछा
"तबरेज भाई, मैं बस उस्तादनी से चाबी लेकर आ गया और दुकान खोली, उस्तादनी ने बताया की उस्ताद आज थोड़ा देर से आएंगे कुछ काम है उन्हें " अनुज ने कहा
(अनुज भी घर का एक जिम्मेदार लड़का है जो पढ़ाई के साथ काम भी सीख रहा है । उसके पिता तबरेज के मामू हुसैन साहब के अच्छे दोस्त है । इसलिए उन्होंने अपने बेटे को अपने दोस्त के पास काम सीखने लगा दिया है । क्यूंकि पढ़ लिख कर नौकरी के लिए धक्के खाने से अच्छा है की पढ़ाई के साथ साथ कुछ हुनर भी सीख लिया जाए जो दो वक़्त की रोटी आसानी से कमाने में मदद कर सके । खाली पढ़ाई करने से भी कुछ हासिल नहीं होता।)
"ठीक है अनुज तुम अपना काम करो मैं खुद मामू को फ़ोन करके पूछ लूँगा कि क्यू नहीं आये। और तुम्हारे घर में सब सही चल रहा है , तुम्हारी दादी और पिताजी हरिद्वार से लोट आये " तबरेज ने अनुज से पूछा
"जी तबरेज भाई वो तो दो दिन पहले ही लोट आये ट्रैन से और थकान भी उतर गयी और मेरे लिए भी काफी चीज़े ले कर आयी है मेरी दादी, और मन्नत भी मानी है की मैं पढ़ लिख जाऊ और जल्दी से ये काम सीख कर अपने पापा का हाथ बटाऊ घर के खर्चे में " अनुज ने कहा
"अच्छी मन्नत मानी है तुम्हारी दादी ने देखना तुम जल्द ही उस्ताद बन जाओगे गाड़ियों के लेकिन एक बात याद रखना पढ़ाई को कभी मत छोड़ना चाहे हालात कैसे भी हो, क्यूंकि अनपढ़ इंसान को यहाँ सब बेवक़ूफ़ बना देते है आज के समय में पढ़ा लिखा होना बहुत ज़रूरी है " तबरेज ने कहा
" जी भाई मैं समझ गया मेरी अध्यापिका भी यही कह रही थी कि पढ़ाई बहुत ज़रूरी है आज कल हर किसी के लिए चाहे वो लड़का हो या लड़की। मैं भी कल स्कूल जाऊंगा आज तो मेने छुट्टी मार ली थी क्यूंकि कल रात स्कूल का काम करना भूल गया था इसलिए नहीं तो अध्यापिका मुझे मुर्गा बनाती सब के सामने " अनुज ने कहा
" ठीक है लेकिन आज के बाद से रोज़ स्कूल जाना और स्कूल का काम ज़िम्मेदारी से करना जैसे दुकान का काम करते हो " तबरेज ने कहा और जेब से मोबाइल निकाल कर अपने मामू को फ़ोन लगाया
"ठीक है भाई , आज के बाद छुट्टी नहीं मारूंगा स्कूल कि और स्कूल का काम ज़िम्मेदारी से पूरा करूंगा " अनुज ने कहा और फिर अपने काम में लग गया
तबरेज ने अपने मामू को फ़ोन लगाया । थोड़ी देर बाद हुसैन साहब ने फ़ोन उठाया ।
तबरेज ने उन्हें सलाम किया और पूछा " मामू आपकी तबीयत तो ठीक है आज आप दुकान पर नहीं आये है अभी तक "
" अरे! बेटा ऐसी कोइ बात नहीं है बस शायद बुढ़ापे का तगाज़ा है इसलिए आज थोड़ा बीमार हूँ इसलिए नहीं आ सका और वैसे भी तुम कोनसा मुझे कोइ काम करने देते हो, खुद ही हाथ में औज़ार लिए हर गाड़ी कि मरम्मत करते रहते हो इस बुढ़ापे में तुम ही मेरा सहारा बने हुए हो और मेरे खुद के बच्चे दिन भर अवारा गर्दी में लगे रहते है " हुसैन साहब ने फ़ोन पर कहा
" मामू आप भी तो मेरे अब्बू की तरह है आपका सहारा नहीं बनूँगा तो फिर किस का सहारा बनूँगा। आप भी तो हरदम मेरे सर पर बाप के साये की तरह खड़े रहे तो अब मेरा फर्ज़ भी यही बनता है की मैं आपका सहारा बनु , साद और समी (हुसैन साहब के बेटे )भी जब बड़े हो जाएंगे तो वो भी आपका सहारा बन जाएंगे। उन्हें भी आपकी फ़िक्र रहती है " तबरेज ने कहा
" ये तो तुम्हारा बड़प्पन है मेरे बच्चे , वरना आज कल तो अपनी औलाद ही साथ छोड़ जाती है और ना की रह गए तुम, तुम तो मेरे भांजे हो चलो अच्छा अब फ़ोन रखता हूँ, अब अपनी अम्मी को मत बता देना मेरी तबीयत का वरना वो दौड़ी दौड़ी चली आएगी मेरा हाल जानने सब काम छोड़ कर " हुसैन साहब ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
" ठीक है मामू अपना ख्याल रखना , दुकान की चिंता मत करना मैं शाम को चक्कर लगाऊंगा और दिन भर का हिसाब भी दे जाऊंगा " तबरेज ने कहा और फ़ोन रख दिया।
"बहुत ही लायक बच्चा है मेरा भांजा तबरेज , ऐसा बच्चा खुदा सब को दे आज इसके अब्बू ज़िंदा होते तो नाज़ करते अपने बेटे पर कि कैसे उसने हर ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई अपने बाप के जाने के बाद " हुसैन साहब ने अपनी बीवी रुकय्या से कहा जो वहा पास बैठी थी ।
रुकय्या बुरा सा मुँह बना कर बोली " आपको तो सिर्फ बहाना चाहिए अपनी बहन और भांजो के गुणगान करने के, क्या ज़रूरत थी अपने बेटों कि यूं इस तरह बुराई करने की। अभी उनके सर पर माँ और बाप दोनों का साया है , तो अभी उन्हें ज़िम्मेदार बनने की क्या ज़रूरत है , कल को शादी हो जाएगी तो खुद ज़िम्मेदार बन जाएंगे। यूं इस तरह मेरे बेटों की बुराई मत किया कीजिये सब के सामने। वो दूसरों की तरह यातिम थोड़ी है "
"तुम्हे समझाना रुकय्या बेगम मतलब भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है , ज़िम्मेदार होना पड़ता है ना की बनना पड़ता है । जो बच्चे अभी अपने माँ बाप और घर की ज़िम्मेदारी नहीं उठा रहे है तो इस बात की क्या गॅरंटी है कि वो दूसरी कि बेटी को घर लाकर दो वक़्त की इज़्ज़त की रोटी खिला सके कमाकर । दिन भर अवारा गर्दी करते फिरते है।
वो 14 साल का अनुज अपने मिश्रा जी का बेटा कुछ ही दिनों में आधे से ज्यादा काम सीख गया है और 9 वी क्लास में पढ़ रहा है ।
एक तुम्हारे नालायक है ना तो काम ही सीख रहे है और ना ही पढ़ाई में अच्छे है पता नहीं कौन उन्हें नौकरी देगा । उन दोनों से अच्छी तो मेरी बेटी आयशा थी जो पढ़ भी ली और शादी के बाद अपने शोहर का घर भी आबाद की हुयी है।" हुसैन साहब ने अपनी बीवी से कहा
"चलये अब छोड़िये ये सब बाते, ये लीजिये दवाई और खा कर आराम कीजिये मैं जब तक बावर्ची खाने में दोपहर का खाना बनाती हूँ " रुकय्या ने कहा और दवाई खिलाकर चली गयी ।
वही दूसरी तरफ दुकान पर एक गाड़ी आती और तबरेज उसे सही करने में लग जाता, अनुज भी उसके साथ लगा रहता गाड़ी ठीक करने में।
वही कॉलेज में ज़ोया कैंटीन में बैठी मोबाइल चला रही थी की तभी अचानक उसकी सहेलियां वहा आ जाती और कहती " क्या बात है किस्से चैटिंग हो रही है अकेले अकेले कैंटीन में बैठ कर "
"कुछ नहीं यार बस ऐसे ही टाइम पास कर रही थी मोबाइल के साथ " ज़ोया ने कहा
"तुम लोग यहाँ क्यू आयी हो? क्या काम है तुम्हे?" ज़ोया ने पूछा
"तेरे लिए एक बुरी खबर है " सहेलियों ने कहा
" क्या बुरी खबर है जल्दी बताओ , आज का तो दिन ही मनहूस है पहले आपी को फ़ैल होने का पता चल गया और अब तुम भी कोइ बुरी खबर लायी हो " ज़ोया ने घबरा कर मोबाइल एक तरफ रख कर पूछा
" खबर ये है कि अंग्रेजी के इम्प्रूवमेंट एग्जाम के लिए जो तुमने फार्म भरा था उसके एग्जाम की तारीख़ आ गयी है अगले महीने की 2 तारीख़ यानि की तुम्हारे पास सिर्फ और सिर्फ 15 दिन है " उसकी सहेली ने कहा
" हाय! रब्बा इतनी जल्दी अभी तो मेने फॉर्म भरा था अभी तो मेने किताब खोल कर भी नहीं देखी है और दो हफ्ते बाद एग्जाम है ज़ालिम कही के, किसने बनायीं ये पढ़ाई बस एक बार मिल जाए मुझे उसे फाँसी पर नहीं लटकवा दिया तो मेरा नाम भी ज़ोया अशफ़ाक़ नहीं " ज़ोया ने गुस्से में कहा
" ओ मैडम, 6 महीने पहले भरा था तुमने इम्प्रूवमेंट का फार्म जब तुम B. A सेकंड ईयर में इंग्लिश में दोबारा लुढ़की थी । अब जाकर मोबाइल रखो और किताबों में सर खपाओ वरना तुम B. A में लटकी रह जाओगी और हम सब M. A करके PH. D में दाखिला ले लेंगे " उसकी सहेलियों ने कहा
" तुम लोग ही करना ये बोरिंग M. A और ph. d वगेरा मेरा तो बस B. A हो जाए उसके बाद मैं तो अपने राजकुमार के साथ सीधा ब्याह रचाउंगी " ज़ोया ने अंगड़ाई लेते हुए कहा।
" वही राजकुमार जो तुझे रोज़ बाइक पर छोड़ने आता है " उसकी सहेली ने पूछा
" हाँ वही राजकुमार उसी की दुल्हनिया बनूँगी मैं " ज़ोया ने अपने दुपट्टे का घूँघट बना कर उसे उठाते हुए कहा
" पागल कही की लड़किया घबराती है शादी का नाम सुन कर और इसे देखों केसी दुल्हन बनने की प्रैक्टिस कर रही है , वो तुझसे प्यार भी करता है या फिर ऐसे ही टाइम पास कर रहा है क्यूंकि ज्यादातर लड़के तो हम भोली भाली लड़कियों के साथ टाइम पास ही करते है , और हम बेवक़ूफे उसे मोहब्बत समझ कर दुनिया जहाँ से मुँह मोड़ लेते है उस एक अनजान शख्स के खातिर " उसकी एक सहेली ने कहा
" तुम होगी बेवक़ूफ़ जो गलत लड़को से आँख लड़ा बैठी होगी, मेरा वाला ऐसा नहीं है वो तो एक दम हीरो है देखना एक दिन वो मुझे अपनी दुल्हन बना कर ले जाएगा अपने घर " ज़ोया ने कहा
" भगवान करे ऐसा ही हो और वो भी तुझसे मोहब्बत करने वाला हो " पास बैठी उसकी सहेली आशी ने कहा
तभी घंटी बजती और सारी सहेलियां भाग कर क्लास में चली जाती है ।
क्लास में अध्यापक आते और कहते है कि हमारी क्लास से जिन जिन बच्चों ने इम्प्रूवमेंट का फार्म भरा था उनके एग्जाम आने वाली 2 तारीख़ को है आप सब लोग अच्छे से एग्जाम देना ताकि इस बार आप अच्छे नंबर से पास हो सको
ज़ोया ये सुन अपनी सहेलियों कि तरफ देख कर बुरा सा मुँह बना कर टेबल पर सर रख लेती है । उसकी सहेलियां उसकी ऐसी हालत देख उस पर हस्ती है मन ही मन।
ज़ोया के घर पर ज़ोया की माँ और बहन आरज़ू दोपहर के खाने में व्यस्त थे । तभी आरज़ू के शोहर तस्लीम का फ़ोन आता और उससे कहता " अम्मी की ( यानि आरज़ू की सास ) तबीयत ठीक नहीं है मैं शाम को काम पर से लौटते हुए तुम्हे लेता चलूँगा तैयार रहना । "
ये कह कर तस्लीम ने फ़ोन रख दिया।
मायके से ससुराल जाने की बात सुन कर जो हर शादी शुदा लड़की का हाल होता है वही आरज़ू का भी था ।
उसकी माँ ने पूछा " बेटा किस का फ़ोन था "
आरज़ू ने घुटी आवाज़ में कहा मानो वो रो रही हो " आपके दामाद का फ़ोन था वो लेने आ रहे है आज मुझे और मावी को क्यूंकि घर पर अम्मी की तबीयत ख़राब है "
ये सुन आरज़ू की अम्मी ने कहा " कब आ रहे है , फिर क्या बनाऊ खाने में दोपहर में आ रहे है या शाम को"
"अम्मी परेशान मत हो शाम को आएंगे जो बना रही हो शाम के लिए खाने में वही बना लो कुछ अलग मत बनाना वो ज्यादा नखरे नहीं दिखाते है खाने में अपने घर वालो की तरह " आरज़ू ने कहा
"चल ठीक है फ्रिज में मुर्गा रखा है वही बना लूंगी और एक सब्जी बना लूंगी । तू उदास मत हो जल्दी आ जाना " आरज़ू की अम्मी ने कहा
" कितनी जल्दी दो हफ्ते गुज़र गए मायके में और ससुराल में एक एक दिन पहाड़ जैसा लगता है , अब कहाँ आना होगा अम्मी रुकने के लिए अब देखों कोइ त्यौहार होगा तभी आना होगा घर पर या फिर थोड़ी बहुत देर को आउंगी मावी के अब्बू के साथ बाइक पर " आरज़ू ने अपनी अम्मी को गले लगाकर कहाँ
" हाँ बेटा मायके में दिन कहाँ पता चलते है कितने दिन भी रह जाओ, लेकिन एक ना एक दिन तो जाना ही पड़ता है मेहमान को अपने घर । बेटा शोहर का घर ही अपना घर होता है और उसी के दम की सारी बहारे होती है वरना औरत की ज़िन्दगी आदमी बिना बेरंग है हर मौसम बेमायने है शोहर बिना। उसकी फरमाबरदारी करना ही हर औरत का पहला फर्ज़ है और आदमी को भी अपनी बीवी की इज़्ज़त करना और करवाना उतना ज़रूरी है जितना की बीवी को अपने शोहर की इज़्ज़त करना और करवाना ज़रूरी है । तभी शादी की गाड़ी ज़िन्दगी की पटरी पर आसानी से दौड़ पाती है " आरज़ू की अम्मी ने कहा और खाना बनाने चली गयी।
आरज़ू थोड़ा उदास थी वो जब जब अपने मायके से जाती है तब तब उदास हो जाती है।
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये धारावाहिक के नए एपिसोड हर सोमवार को
Seema Priyadarshini sahay
02-May-2022 09:56 PM
बेहतरीन भाग
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Gunjan Kamal
02-May-2022 12:52 PM
शानदार भाग👌👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
02-May-2022 11:54 AM
Very nice
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